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अपनों से अपनी बात……………………….
सभी को सादर अभिवादन,
जैसा कि सभी को विदित है कि अखिल भारतीय लखारा कार्मिक संघ का प्रांतीय अधिवेशन व स्नेह मिलन समारोह मेवाड़ धरा उदयपुर में आयोजित होने जा रहा है। स्थापना वर्ष सन् 2019 से यह संगठन स्वयं के आशातीत विस्तार के साथ समाज के उत्कर्ष में भी अपनी महत्ती भूमिका निर्वहन के लिए कटिबद्ध है। आप सभी उदयपुर कार्यक्रम में अवश्य पधारें। कवि हरिवंशराय बच्चन कहते हैं कि “जो बीत गई सो बात गई।“ मगर हम जानते है कि बीते हुए समय का मूल्यांकन आवश्यक है। समय अपनी गति से चलते हुए ’कुछ खट्टे – कुछ मीठें’ अनुभव देता है। उन्हीं अनुभवों के आधार पर हमें अग्रिम योजनाएं बनानी चाहिए। योजनाएं भी हम अपने-अपने हिसाब से बनाते है। किसी की योजनाएं स्वकेन्द्रित होती है तो किसी की परिवार, समाज और राष्ट्र केन्द्रित होती है।

स्वकेंद्रित योजनाएं संकुचित दायरें में ही होती है। इस प्रकार की योजना से व्यक्तिगत उन्नति तो की जा सकती हैं मगर यह बहुजन हिताय या समाजहिताय कम ही हो होती है। कोई भी व्यक्ति समाज-निरपेक्ष नहीं हो सकता। अरस्तु ने कहा है कि “जो व्यक्ति समाज में नहीं रहता, वह या तो पशु है या फिर देवता। “ हमारा लखारा समाज तो बहुत ही छोटा समाज है और वो भी बिखरा हुआ। मतलब यह कि ’दुबले और दो आषाढ़।’ हमारे समाज में नेतृत्वकर्ता भी बहुत है जो इसे सही दशा और दिशा दिखला सकते है। मगर हमारा समाज कई दलों में विभक्त होकर ’दलदल’ बन गया है। सभी संगठनों की ’अपनी अपनी ढपली – अपना अपना राग है। “ समाज के शिक्षित वर्ग की जिम्मेदारी समाज के प्रति ज्यादा होती है। वास्तव में समाज का कर्णधार वर्ग यहीं है जो किसी भी समाज या संगठन को उन्नति के शिखर तक पहुंचा सकता है। इसी शिक्षित वर्ग ने अपनी जिम्मेदारी का अहसास करते हुए वर्ष 2019 में ’अखिल भारतीय लखारा कार्मिक संघ’ के बैनर तले पुष्कर (अजमेर) में समारोह आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में समाज रत्न भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्रीमान् जी भास्कर जी लाक्षाकार व राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्रीमान् कैलाश चन्द्र जी लखारा का विशेष गौरवमयी सानिध्य प्राप्त हुआ । इस स्नेह मिलन के आयोजन से पहले तक सभी सोशल मिडिया पर अमूर्त रूप से ’अखिल भारतीय लखारा कार्मिक संघ’ नामक ग्रुप बनाकर आपस में लगभग एक वर्ष पहले से ही जुडे़ हुए थे। मगर प्रधानाचार्य सुरेश जी डीडवाना, दिनेश जी मोर,कैलाश जी गंगाणी, धनराज जी पाली, नन्दकिशोर जी मालपुरा, रघुवीर जी अजमेर, कवि रामचन्द्र जी विपुल, शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के पदाधिकारी महेन्द्र जी जैसे समाज के कुछ सजग और कर्मठ समाजसेवियों व कार्यकर्ताओं ने सोशल मिडिया की आभासी दुनियाँ से बाहर निकालकर यथार्थ का अमली जामा पहनाने में अपना विशिष्ट योगदान दिया । इसके अलावा ऐसे कई व्यक्तित्व और भी है जिन्होनें नैपथ्य के पीछे से संगठन को यथार्थ के धरातल पर उतारने में अपना अमूल्य योगदान दिया ।

पुष्कर में ही संगठन एवं समाज विकास को ध्येय बनाकर सोलह सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया गया। संगठन से सम्बन्धित नीति-नियम, विधान तय किये गये । समाज विकास व संगठन की मजबूती के लिए कुछ लक्ष्य तय किये गये। लेकिन इसके तुरंत बाद ही कोरोनाकाल पूरे विश्व के लिए दुष्काल बन गया। कोई बैठक/आयोजन करना सम्भव नहीं हो पाया । मगर फिर भी तकनीक की सहायता से आॅनलाइन मीटिंग आयोजित की गई थी।

कुल मिलाकर अखिल भारतीय लखारा कार्मिक संघ का कार्य कोरोना वैश्विक महामारी के कारण बाधित अवश्य हुए थे लेकिन अनवरत रूप से जारी रहे। कोरोनाकाल में भी इस संगठन ने लखारा समाज के अत्यन्त निर्धन परिवारों को राशन या आर्थिक रूप से मदद पहुचाने का भरसक प्रयास किया है। संगठन के नाम से खाता खुलवाने की प्रक्रिया भी पूरी की गई। संगठन ने नई पहल करते हुए कक्षा दसवीं व बारहवीं के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों कों आर्थिक सहायता देने की दिशा में अग्रसर है।

गत वर्ष मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में आयोजित कार्मिक संघ के भव्य कार्यक्रम में राजस्थान से 200 सदस्यों ने शिरकत की थी। कुल 300 समाज के कर्णधारो ने जबलपुर अधिवेषन मे भाग लिया। हमारा यह संगठन बौद्धिक व आर्थिक स्तर का सुदृढ़ सामाजिक संगठन है । इस संगठन की मेधा-प्रज्ञा का उपयोग समाज को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करने में हों। समाज के जर्जर ढाँचे में आमूलचूल परिवर्तन करके यह संगठन समाज का पथ-प्रदर्शक की अग्रणी भूमिका निभाएँ । कार्मिकों का संगठन होने के कारण यह संगठन हर प्रकार से सक्षम है। हमें समाज के अक्षम वर्ग को भी सक्षम बनाना होगा। जिस समाज में शिक्षा का जितना अधिक प्रचार-प्रसार होगा, वह समाज उतना ही अधिक तीव्र गति से विकास करेगा।

अतः हमें समाज में शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। समाज के युवाओं को उच्च शिक्षा दिलाने में सहयोग की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा। समाज के वे प्रतिभाशाली युवा जो त्।ै व प्।ै जैसे क्षेत्रों में अपना भविष्य संवारना चाहते है, उन्हें हर स्तर पर सामाजिक मदद देनी होगी। हम जयपुर, जोधपुर, कोटा जैसे नगरों में समाज का छात्रावास खोलकर भी सहायता पहुँचा सकते है। बन्धुओं, वास्तव में हम संगठन तले बहुत कर सकते है ,बहुत कुछ सोच सकते है, बहुत-सी समाज हित की योजनाएँ बना सकते है। या फिर मैं यूँ कह दूँ कि जो-जो भी सम्भावनाएँ हो सकती है, हम वो सब कुछ कर सकते है। जरूरत है तो मात्र इच्छाशक्ति की। समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी के अहसास की । आप भी उदयपुर में आयोजित भव्य कार्यक्रम में पधारकर अपने अमूल्य विचारों से समाज को लाभांवित करेगें।

इस अवसर पर एक शेर याद आ रहा है-
“कौन कहता है कि आसमाँ में सुराख नहीं होता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों……
आसमाँ में भी सुराख होता नज़र आएगा। “लेखक- श्री रमेश लक्षकार ’लक्ष्यभेदी’बिनोता